सोमनाथ मंदिर की कथा: जब चंद्रमा की तपस्या से प्रसन्न हुए शिव, हुआ ज्योतिर्लिंग का प्रकट होना

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इमेज वाया: Getty
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सावन के पवित्र महीने की शुरुआत के साथ ही देशभर के शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी है। इसी क्रम में भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों के दर्शन की परंपरा भी विशेष महत्व रखती है। श्रद्धालु मानते हैं कि इन ज्योतिर्लिंगों का दर्शन जीवन के कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। इन्हीं में पहला ज्योतिर्लिंग गुजरात के काठियावाड़ तट पर स्थित सोमनाथ मंदिर को माना जाता है। इस मंदिर की पौराणिक कथा चंद्रदेव और महादेव से जुड़ी हुई है।


सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की पौराणिक कथा

सोमनाथ मंदिर, जो आज समुद्र किनारे स्थित है, प्राचीनकाल में प्रभास क्षेत्र के नाम से जाना जाता था। इस क्षेत्र में राजा दक्ष प्रजापति की 27 कन्याएं थीं, जिनका विवाह चंद्रमा से हुआ था।

हालाँकि चंद्रमा का स्नेह सिर्फ रोहिणी पर केंद्रित था, जिससे बाकी 26 पत्नियाँ दुखी रहने लगीं। उन्होंने यह बात अपने पिता दक्ष को बताई। कई बार समझाने के बाद भी जब चंद्रमा नहीं बदले, तो क्रोधित होकर दक्ष प्रजापति ने उन्हें श्राप दे दिया। इस श्राप के प्रभाव से चंद्रमा की शक्तियां क्षीण होने लगीं और उनका तेज घटने लगा।

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ब्रह्माजी की सलाह पर की भगवान शिव की तपस्या

चंद्रमा की स्थिति देख अन्य देवता और ऋषिगण ब्रह्माजी के पास पहुंचे। ब्रह्माजी ने उन्हें बताया कि इस संकट से केवल भगवान शिव ही मुक्त करा सकते हैं। इसके बाद चंद्रमा ने महादेव की घोर तपस्या की।

तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने चंद्रमा को वरदान दिया कि –

“तुम्हें मिला श्राप समाप्त होगा, साथ ही दक्ष के वचनों की मर्यादा भी बनी रहेगी। कृष्ण पक्ष में तुम्हारी कला घटेगी और शुक्ल पक्ष में पुनः बढ़ेगी। पूर्णिमा पर तुम 16 कलाओं से सम्पन्न हो जाओगे।”

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इस वरदान से चंद्रमा की स्थिति पुनः सुधरने लगी।


भगवान शिव हुए ज्योतिर्लिंग रूप में प्रकट

चंद्रमा ने फिर अन्य देवताओं के साथ मिलकर प्रार्थना की कि भगवान शिव माता पार्वती के साथ इस स्थान पर हमेशा के लिए निवास करें।

भगवान शिव ने यह प्रार्थना स्वीकार की और ज्योतिर्लिंग रूप में यहां प्रकट हुए। यही स्थल आज सोमनाथ मंदिर के रूप में विश्वभर के श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है।


सोमनाथ कैसे पहुंचे?

हवाई मार्ग:
दिल्ली-एनसीआर से सोमनाथ पहुंचने के लिए इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट से दियू एयरपोर्ट तक फ्लाइट ली जा सकती है। इसमें लगभग 6-7 घंटे लग सकते हैं। इसके बाद दियू से कैब, बस या ट्रेन के जरिए सोमनाथ पहुंचा जा सकता है, जिसमें करीब 10-12 घंटे का समय लगेगा।

रेल मार्ग:
दिल्ली से सोमनाथ की सीधी ट्रेन सेवा उपलब्ध नहीं है। पहले नई दिल्ली से अहमदाबाद तक ट्रेन लें और वहां से आगे की यात्रा कैब, बस या सोमनाथ की ट्रेन से पूरी करें। दिल्ली से अहमदाबाद रेल मार्ग में लगभग 12-13 घंटे का समय लगता है।

सड़क मार्ग:
दिल्ली से अहमदाबाद बस सेवा लगभग 20 घंटे का समय लेती है। अहमदाबाद से सोमनाथ के लिए बस से 10-12 घंटे का अतिरिक्त समय लगेगा।


देशभर से हर वर्ष लाखों श्रद्धालु सोमनाथ मंदिर पहुंचते हैं, विशेषकर सावन में यहां की धार्मिक महत्ता और भी अधिक बढ़ जाती है।


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