पुतिन का तगड़ा ऑफर, भारत बोलेगा- ट्रंप अब तुम जाओ!

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via: Reuters
भारत और रूस की नजदीकियां ऊर्जा बाजार में नया मोड़ ला रही हैं। ट्रंप के टैरिफ बम के बावजूद भारत पीछे हटने को तैयार नहीं। पुतिन ने दिया ऐसा ऑफर जिससे अमेरिकी दबाव बेअसर साबित हो रहा है।

ट्रंप का टैरिफ और भारत की प्रतिक्रिया

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 27 अगस्त को भारत पर बड़ा आर्थिक हमला बोलते हुए रूसी तेल खरीद को लेकर टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया। अमेरिका ने इसे जुर्माने के तौर पर लागू किया और दावा किया कि भारत रूस से तेल और हथियारों की खरीद बढ़ाकर यूक्रेन युद्ध में अप्रत्यक्ष मदद कर रहा है।

लेकिन अमेरिकी दबाव का असर उल्टा पड़ा। भारत ने साफ कर दिया कि ऊर्जा सुरक्षा से कोई समझौता नहीं होगा और ट्रंप का दांव भारत को झुकाने के बजाय और मजबूत बना रहा है।

पुतिन का तगड़ा ऑफर: भारी छूट पर तेल

रिपोर्ट्स के अनुसार रूस ने भारत को यूराल क्रूड ऑयल पर ब्रेंट क्रूड से 3-4 डॉलर प्रति बैरल सस्ता ऑफर दिया है। कुछ हफ्ते पहले यह अंतर केवल 2.5 डॉलर था, यानी रूस ने छूट और बढ़ा दी है।

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July 20, 2025
“भारत अपनी ऊर्जा जरूरतों के लिए सबसे सस्ते और भरोसेमंद विकल्प चुनेगा। अगर रूस से खरीद फायदेमंद है, तो यह व्यापार जारी रहेगा।”

इस ऑफर से भारतीय रिफाइनरियों को बड़ी राहत मिलने वाली है क्योंकि वैश्विक स्तर पर तेल की कीमतें लगातार अस्थिर बनी हुई हैं।

एससीओ बैठक और मोदी–पुतिन वार्ता

ट्रंप का यह टैरिफ हमला ठीक उस समय हुआ जब चीन में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मुलाकात हुई।

इस मुलाकात में दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय वार्ता हुई और उसके बाद रूस का यह बड़ा तेल ऑफर सामने आया। इससे साफ है कि भारत और रूस के रिश्ते आर्थिक दबावों के बावजूद और मजबूत हो रहे हैं।

भारत में रूसी तेल आयात की तेज़ी

अमेरिकी टैरिफ लागू होने के बावजूद भारतीय रिफाइनरियां पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। 27 अगस्त से 1 सितंबर के बीच भारत ने रूस से 11.4 मिलियन बैरल तेल आयात किया।

एनालिस्ट्स का अनुमान है कि आने वाले महीनों में 10–20% अतिरिक्त वृद्धि देखी जा सकती है, यानी 1.5–3 लाख बैरल प्रतिदिन का अतिरिक्त आयात संभव है।

समय अवधि रूसी तेल आयात बढ़ोतरी (%)
2021 1%
2022 15% +14%
2023 30% +15%
2025 40% +10%

भारतीय अर्थव्यवस्था को अरबों की बचत

अप्रैल 2022 से जून 2025 के बीच भारत ने रूसी तेल खरीदकर कम से कम 17 अरब डॉलर की बचत की है। यह सीधे-सीधे देश की अर्थव्यवस्था के लिए एक बड़ी जीत है।

भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने साफ कहा है कि “भारत का तेल व्यापार अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन नहीं करता” और यह केवल व्यावसायिक हितों के आधार पर होता है।

वैश्विक ऊर्जा बाजार पर असर

भारत के बढ़ते रूसी तेल आयात से वैश्विक बाजार पर बड़ा असर पड़ रहा है। एक ओर अमेरिका और यूरोप रूस पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भारत और चीन जैसे बड़े खरीदार रूस को आर्थिक सहारा दे रहे हैं।

विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत का यह कदम न सिर्फ घरेलू ईंधन कीमतों को स्थिर रखेगा बल्कि एशियाई देशों की ऊर्जा सुरक्षा को भी मजबूत करेगा।

FAQ

Frequently Asked Questions
+ भारत पर अमेरिका ने टैरिफ क्यों लगाया?
अमेरिका का आरोप है कि भारत रूस से तेल और हथियार खरीदकर यूक्रेन युद्ध में रूस की मदद कर रहा है। इसी कारण 27 अगस्त को टैरिफ को 25% से बढ़ाकर 50% कर दिया गया।
+ रूस ने भारत को क्या ऑफर दिया?
रूस ने भारत को यूराल क्रूड पर 3-4 डॉलर प्रति बैरल की छूट दी है, जो वैश्विक ब्रेंट क्रूड से सस्ता है।
+ भारत को रूसी तेल से कितना फायदा हुआ?
अप्रैल 2022 से जून 2025 तक भारत ने रूसी तेल खरीदकर करीब 17 अरब डॉलर बचाए हैं, जिससे रिफाइनरियों और अर्थव्यवस्था को बड़ा लाभ हुआ।
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