PK ने तोड़ी चुप्पी, अब पता चला किस सीट से उतरेंगे मैदान में

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बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर की भूमिका पर सबकी नजरें टिकी हैं। पीके ने साफ किया कि अब चुनावी मैदान से दूरी नहीं रहेगी। जन्मभूमि और कर्मभूमि को लेकर दावेदारी के संकेत मिल चुके हैं।

प्रशांत किशोर की एंट्री पर सस्पेंस

बिहार की सियासत में प्रशांत किशोर (PK) की भूमिका हमेशा चर्चा में रही है। कभी चुनावी रणनीतिकार तो कभी सामाजिक अभियान के नेता, पीके ने पिछले दो साल से राज्य की राजनीति की जमीन पर लगातार काम किया है। लेकिन बड़ा सवाल हमेशा यही रहा—क्या वे खुद चुनावी मैदान में उतरेंगे?

अब पीके ने पहली बार स्पष्ट संकेत दिए हैं कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव लड़ते हैं, तो वे भी चुनाव लड़ेंगे। यानी उनकी सियासी पारी शुरू होना तय है।

नीतीश फैक्टर और पीके का बयान

जब पत्रकारों ने उनसे सवाल किया कि आखिर वे कब चुनाव लड़ेंगे, तो पीके ने कहा—

“अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार चुनाव लड़ते हैं तो निश्चित तौर पर मैं भी चुनाव लडूंगा।”

इस बयान ने सियासी हलकों में हलचल मचा दी है। नीतीश कुमार पिछले 20 साल से खुद विधानसभा चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। अगर वे मैदान में उतरते हैं, तो क्या पीके सीधे उनके खिलाफ उतरेंगे या फिर किसी और सीट से ताल ठोकेंगे, यह बड़ा सवाल है।

जन सुराज पार्टी का रुख

प्रशांत किशोर जन सुराज पार्टी के संस्थापक और चेहरे हैं। वे पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि पार्टी बिहार की सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी। हालांकि, खुद की सीट को लेकर वे हमेशा चुप्पी साधे हुए थे।

उनका कहना है कि “मैं पार्टी से ऊपर नहीं हूं, फैसला पार्टी ही करेगी कि मुझे कहां से चुनाव लड़ना है।”

जन्मभूमि और कर्मभूमि की सीटें

पीके ने साफ कहा कि अगर चुनाव लड़ना पड़ा तो वे या तो अपनी जन्मभूमि से लड़ेंगे या फिर कर्मभूमि से।

  • जन्मभूमि: सासाराम या करगहर से चुनाव लड़ने की संभावना।
  • कर्मभूमि: राघोपुर को वे अपनी राजनीतिक कर्मभूमि मानते हैं।

अगर पीके इन सीटों में से किसी से उतरते हैं, तो यह सीट सीधे-सीधे बिहार चुनाव की वीआईपी सीट बन जाएगी।

कौन सी सीट बन सकती है VIP?

राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि प्रशांत किशोर की चुनावी एंट्री से जिस सीट पर वे उतरेंगे, वह पूरे राज्य का फोकस बनेगी।

संभावित सीट कारण राजनीतिक महत्व
सासाराम जन्मभूमि से जुड़ाव ऐतिहासिक और दलित बहुल क्षेत्र
करगहर पारिवारिक जुड़ाव स्थानीय राजनीति में अहम
राघोपुर कर्मभूमि, लंबे समय से सक्रिय तेजस्वी यादव का गढ़, हाई-प्रोफाइल सीट

बिहार की सियासत पर असर

अगर पीके चुनावी मैदान में उतरते हैं, तो बिहार की राजनीति का समीकरण पूरी तरह बदल सकता है। वे युवा, शहरी और पढ़े-लिखे तबके में लोकप्रिय हैं। वहीं ग्रामीण इलाकों में उनके पदयात्रा और जनसंवाद ने अच्छा असर डाला है।

राजनीतिक जानकार मानते हैं कि अगर वे तेजस्वी यादव जैसे बड़े चेहरे के खिलाफ खड़े होते हैं, तो मुकाबला और भी दिलचस्प हो जाएगा।

FAQ

Frequently Asked Questions
+ प्रशांत किशोर किस सीट से चुनाव लड़ेंगे?
पीके ने संकेत दिया है कि वे या तो जन्मभूमि (सासाराम/करगहर) या कर्मभूमि (राघोपुर) से चुनाव लड़ सकते हैं। अंतिम फैसला पार्टी करेगी।
+ क्या प्रशांत किशोर नीतीश कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे?
पीके ने कहा कि अगर नीतीश कुमार चुनाव लड़ते हैं तो वे भी चुनाव लड़ेंगे। हालांकि, किस सीट से उतरेंगे, यह पार्टी तय करेगी।
+ जन सुराज पार्टी की रणनीति क्या है?
पार्टी ने ऐलान किया है कि बिहार की सभी 243 सीटों पर उम्मीदवार उतारे जाएंगे। प्रशांत किशोर का कहना है कि वे पार्टी से ऊपर नहीं हैं और उनका फैसला सामूहिक होगा।
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