पाकिस्तान की एंटरटेनमेंट इंडस्ट्री में एक बार फिर पेमेंट में देरी का मुद्दा गरमाया हुआ है। पहले भी कई बार कलाकारों ने इस समस्या पर आवाज उठाई थी, लेकिन अब यह शोर और भी तेज हो गया है क्योंकि बड़े-बड़े नाम – अहमद अली बट, यासिर हुसैन और फैजान ख्वाजा – खुद सामने आ गए हैं। इन एक्टर्स ने सोशल मीडिया पर खुलकर बताया कि कैसे उन्हें अपना मेहनताना पाने के लिए बार-बार गिड़गिड़ाना पड़ता है, जैसे कोई भिखारी भीख मांग रहा हो।
“इंडस्ट्री का स्टैंडर्ड है लेट पेमेंट”
अहमद अली बट ने इंस्टाग्राम पर सैयद मोहम्मद अहमद का एक वीडियो शेयर किया और बताया कि लेट पेमेंट पाकिस्तान की इंडस्ट्री में कोई नई बात नहीं है। उनके मुताबिक, प्रोडक्शन हाउस, टीवी चैनल्स और ब्रांड्स आमतौर पर 60 से 90 दिन की पेमेंट क्लॉज रखते हैं, लेकिन वो भी शायद ही कभी समय पर पूरी होती हो।
उन्होंने बताया कि कैसे एक प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद भी उन्हें अपनी फीस के लिए महीनों तक इंतजार करना पड़ा और तब जाकर कहीं किश्तों में भुगतान हुआ। अहमद ने गुस्से में सलाह भी दे डाली – “सबको यूट्यूब पर खुद का चैनल शुरू कर देना चाहिए, वहां कम से कम खुद के मालिक तो बनेंगे।”
“कानून बनाओ, इंसान समझो कलाकारों को”
यासिर हुसैन ने भी इंस्टाग्राम स्टोरी में इस मुद्दे को गंभीरता से उठाया। उन्होंने हाल ही में दिवंगत मॉडल और एक्ट्रेस हुमैरा असगर अली का जिक्र करते हुए कहा – “उनके लिए दुआ करो, और जो अब भी ज़िंदा हैं – जैसे मोहम्मद अहमद जैसे कलाकार – उनके लिए कानून बनाओ, इंसानियत दिखाओ।” यासिर का कहना है कि कलाकारों को अगर समय पर पैसे मिलें तो वो खुश रहेंगे और मानसिक रूप से स्वस्थ भी।
“टीवी से दूरी बनाने की मजबूरी”
फैजान ख्वाजा ने भी अपनी एक्सपायर्ड इंस्टा स्टोरी में लिखा कि लोग अक्सर पूछते हैं – “आप अब टीवी पर क्यों नहीं आते?” इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा – “क्योंकि हमारे पास अब इतना धैर्य नहीं बचा कि हम हर बार अपमान सहें और फिर भी पैसों के लिए भीख मांगते फिरें।” फैजान का कहना है कि इंडस्ट्री में कोई ठोस नियम नहीं है, न ही कॉन्ट्रैक्ट्स का पालन होता है, जिससे कलाकारों को मानसिक और आर्थिक दोनों तरह से नुकसान उठाना पड़ता है।
“सालों से सुनाई जा रही ये चीख”
डायरेक्टर मेहरीन जब्बार, जिन्होंने ‘एक झूठी लव स्टोरी’ जैसी फिल्मों का निर्देशन किया है, उन्होंने भी एक इंटरव्यू में कहा था कि पाकिस्तान की फिल्म और टीवी इंडस्ट्री “बेहद खराब” और “अनप्रोफेशनल” है। उन्होंने बताया कि यहां पेमेंट में देरी आम है और कलाकारों के पास कोई कानूनी सुरक्षा नहीं है।
जब्बार ने साफ कहा था – “यह सिर्फ एक्टर्स की नहीं, बल्कि डायरेक्टर्स, टेक्निशियन्स, स्पॉटबॉय, हर किसी की समस्या है। इन लोगों को कम पैसे मिलते हैं और कोई यूनियन भी नहीं है जो इनकी आवाज बने।”
“इज्जत मारकर पैसे मांगने की मजबूरी”
मोहम्मद अहमद ने एक वीडियो में बताया था कि एक्टर्स को अपनी खुद्दारी और आत्म-सम्मान छोड़कर पैसे मांगने पड़ते हैं। “हमें अपनी मजबूरी बतानी पड़ती है, तब जाकर कहीं चेक मिलता है। ये बेहद शर्मनाक है।” उन्होंने यह भी कहा कि कई बार 20 घंटे की शिफ्ट करने के बाद जब एक्टर्स पैसे मांगते हैं, तो उन्हें नजरअंदाज कर दिया जाता है।
“ब्लैकलिस्ट बनाकर काम करना पड़ता है”
एक्ट्रेस नादिया अफगान ने भी इस मुद्दे पर खुलकर बात की थी। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपने लिए एक “ब्लैकलिस्ट” बना रखी है – यानी ऐसे प्रोड्यूसर जिनसे उन्हें पेमेंट की उम्मीद नहीं रहती, उनके साथ वो दोबारा काम नहीं करतीं। अफगान के मुताबिक नए कलाकार इस सिस्टम में ऐसे ढल जाते हैं जैसे ये सब कुछ सामान्य हो – और यही सबसे बड़ी समस्या है।
अब जब इस मुद्दे पर इतने सारे कलाकार, निर्देशक और तकनीकी सदस्य एक साथ आवाज़ उठा रहे हैं, तो सवाल उठता है कि क्या पाकिस्तान की इंडस्ट्री अब भी इस बहरी व्यवस्था को सुधारने की कोशिश करेगी? या फिर कलाकारों को यूं ही अपनी मेहनत की कीमत पाने के लिए भीख जैसी लड़ाई लड़नी पड़ेगी?